Raag Malkauns Parichay | राग मालकौंस (Raag Malkauns) परिचय हिंदी में

Raag Malkauns Parichay

Raag Malkauns Parichay-राग मालकौंस: राग मालकौंस हिन्दुस्तानी संगीत की एक प्रचलित शास्त्रीय राग है यह उत्तर भारत में बहुत प्रसिद्ध है इसे कई नाम से जाना जाता है जैसे मालकंस, मालकौंस आदि। माना गया है कि इसकी उत्पति राग भरवी थाट से हुई है। राग मालकौंस को दक्षिण भारत में हिंडलोम के नाम से भी जाना जाता है। इस में तीन कोमल स्वर है गंधार, धैवत और निषाद

राग मालकौंस परिचय हिंदी में | Raag Malkauns Parichay in Hindi

आरोह– सा ग म, ध नि सां।
अवरोह– सां नि ध म, ग म ग सा।
पकड़– ध नि स म, ग म ग सा।
कोमल स्वर –ग ध नी तथा अन्य स्वर शुद्ध है (गंधार (ग), धैवत (ध) और निषाद (नि) )

वादी –मा,
संवादी-सा,
ठाट-भैरवी
वर्जित स्वर – रे, प,

जाति औडव-औडव
गायन का समय : रात के तीसरा प्रहर।
यह गंभीर प्रकृति का राग है तथा यह एक पुरूष राग है, इसका समप्राकृतिक राग चन्दकोष है ।

राग मालकौंस स्वर विस्तार | Raag Malkauns ka Swar Vistar

सा .नि .ध, .म .ध .नि सा, .नि सा ग सा, सा ग म ध, .नि सा ग म, ग म ध म, म ध .नि ध म, ग म ग सा, सा ग म ध नि सां, सां नि ध नि ध म,  म ध नि सां गं सां, नि सां गं मं गं सां, सां नि ध नि ध म, ग म ध म, ग म ग सा

राग मालकौंस बंदिश और नोटेशन | Raag Malkauns Bandish with Notation

स्थाई :-
बोल – मुख मोर मोर मुस्कात जात,
मुख मोर मोर मुस्कात जात|
अत छबीली नर चली पत संगाथ|

अंतरा- 

काहू की अँखियाँ रसीली मन भाई, 

या विध सुंदर वा उखलायी| 

चली जात सब सखियाँ साथ|

राग मालकौंस Notation

Raag Malkauns Notation :-

स्थाई :-

मुख गम

ग s सा सा | s सा.नि .ध .नि | 

मो s र मो |   s रs      मु   स |

 0              |  3

सा s  म म | s ग ग गम |

का s त जा | s त मु खs | 

x               | 2

ग s सा सा | s  सा.नि   .ध  .नि |
मो s र मो |   s    रs       मु   स |
0              | 3

सा s  म म | s ग  म ग |

का s त जा | s त  अ त |

x               | 2

म ध नि सां | s सां सां सांनि |
छ बी ली ना | s र  च लीs   |
0                 | 3

ध नि ध म  | s ग  ग म | 

प  त सं गा  | s थ, मु ख | 

x               | 2

अंतरा :-

s म ग ग | म म ध ध |

s का हू की | अँ खि याँ र |

0              | 3

नि नि सां सां | सां s सां s |

सी ली म न | भा s ई s|

x              | 2

सां s सां सां | (सां) s नि ध |

या s वि ध  | सुं      s द  र |

0               |   3

म ध नि नि | ध नि ध म |

वा s   उ  ख | ला s यी s |

x               | 2

सां मं s   गं | मं गं सां सां |

च ली s  जा | s   त स  ब |

0                | 3

ध नि  ध म | s ग  ग म |

स खि याँ सा | s थ, मु ख |

 x               | 2

Raag Malkauns की विशेषताएं

  • इस राग का चलन तीनों सप्तक में एक ही जैसा होता है
  • इस राग में अगर नि को शुद्ध कर दिया जाए तो यह राग चन्द्रकोश हो जाएगा
  • इस राग के न्यास के स्वर हैं – सा ग॒ म
  • इस राग में मींड, गमक और कण का खूब प्रयोग किया जाता है

अगर आपको यह राग मालकौंस की जानकारी अच्छी लगी हो या ये जानकारियां आपके काम आई हो तो अप इसे अपने दोस्तो के साथ शेयर करें

2 thoughts on “Raag Malkauns Parichay | राग मालकौंस (Raag Malkauns) परिचय हिंदी में”

  1. Chitranjan Dogra

    स्वर विस्तार में अपने म ध मध्य सप्तक के बाद नि को मंदर सप्तक फिर पुनः ध म को मध्य सप्तक में लिया है क्या यह सही है ? कृपया बताना।

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